Sunday, May 2, 2010
मै सुन्दरकाण्ड का पथ पहले से भी करता रहा हु लेकिन कुछ सालो से व्यस्तता के कारन नहीं कर पा रहा था अचानक एक दिन मै सोते से उठ कर काफी देर परेसान रहा कारन था एक सपना मुझे ऐसा लगा की मुझे कोई कह रहा है की तुम सुन्दरकाण्ड का पथ क्यों नहीं करते तभी से लगातार प्रयास में हु की मै फिर से सामूहिक सुन्दरकाण्ड का पथ शुरू कर दू, जिसका एक मुख्या उद्द्स्य है समाज से भरम को समाप्त कर लोगो को इस्वर की तरफ ले जाना। सुन्दरकाण्ड करने से एक लाभ तो दिखने ही लगता है जो कार्य की बढ़ाये होती है वे अवस्य ही दूर हो जाती है। यदि सच्चे मन से सुन्दरकाण्ड के पथ को कर लिया जाय तो सभी मनोरोथ पूर्ण होते है, भुत, प्रेत, निशाचर आदि का भय जीवन से समाप्त होता है। सुन्दरकाण्ड का पथ अधिक से अधिक से लोगो को मिल कर करना चाहिए यदि ढोलक, हारमोनियम, ताबले और मंजीरे की सांगत के साथ सुन्दरकाण्ड का पथ किया जाये तो उस छेत्र से भुत, प्रेत, निशाचर भाग जाते है, वीर हनुमान जी को चिरंजीव् कहा जाता है इसलिए मानयता है की जहा भी सुन्दरकाण्ड का पथ होता है वहा पर हनुमान जी का वास होता है.
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जय श्री राम
ReplyDeleteजय बजरंग बली
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं ई-गुरु राजीव हार्दिक स्वागत करता हूँ.
मेरी इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
यदि कोई सहायता चाहिए तो खुलकर पूछें यहाँ सभी आपकी सहायता के लिए तैयार हैं.
शुभकामनाएं !
"टेक टब" - ( आओ सीखें ब्लॉग बनाना, सजाना और ब्लॉग से कमाना )
सही
ReplyDeletehttp://www.mydunali.blogspot.com/
"समाज से भरम को समाप्त कर लोगो को इस्वर की तरफ ले जाना"
ReplyDeleteअच्छा प्रयास